Mirza Ghalib's Shayari: मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी संग्रह

Best Shayari Collection of Mirza Ghalib in Hindi

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मीरज़ा ग़ालिब, उर्दू साहित्य के एक महान शायर थे, जिन्होंने अपनी बेहतरीन कलाकृतियों से अपना नाम इतिहास के पन्नों पर हमेशा के लिए अमर कर लिया है। उनकी शानदार कला कृतियाँ ने लोगों के दिलों में, खासकर शायर प्रेमियों के दिलों में, एक अमिट छाप छोड़ी है।

उनके चाहने वालों के लिए, नीचे हमने मीरज़ा ग़ालिब की कुछ सर्वश्रेष्ठ कृतियों का एक संग्रह तैयार किया है, जो सचमुच उनकी शानदार कला-कृतियों का नमूना प्रस्तुत करती हैं और हमें उनकी कलाकृतियों के सौंदर्य से रूबरू होने का एक अवसर प्रदान करती हैं।

1. इश्क़ पर ज़ोर नहीं 'ग़ालिब', ये वो आतिश है

इश्क़ पर ज़ोर नहीं 'ग़ालिब', ये वो आतिश है,

इश्क़ पर ज़ोर नहीं 'ग़ालिब', ये वो आतिश है,
जो न लगाए लगे और न बुझाए बुझे..!!

2. आया जो इश्क़ की बेकसी पे रोना 'ग़ालिब'

आया जो इश्क़ की बेकसी पे रोना 'ग़ालिब'

आया जो इश्क़ की बेकसी पे रोना 'ग़ालिब'
किस के घर जाएगा सैलाब-ए-बला बाद मेरे..!!

3. चांदनी रात के सितारों की कसम तेरे सिवा

चांदनी रात के सितारों की कसम, अब तेरे सिवा इस दिल में कोई आवाद नहीं..

चांदनी रात के सितारों की कसम, अब तेरे सिवा इस दिल में कोई आवाद नहीं..!!

4. मैं गुजरा वक़्त नहीं जो लौटकर न आ सकुं

मेहरबां होके बुला लो मुझे चाहे जिस वक़्त, मैं गुजरा वक़्त नहीं जो लौटकर न आ सकुं..

मेहरबां होके बुला लो मुझे चाहे जिस वक़्त, मैं गुजरा वक़्त नहीं जो लौटकर न आ सकुं..!!

5. हमने सुना है मोहब्बत की कोई हद कोई सर-हद नहीं होती

हमने सुना है मोहब्बत की कोई हद कोई सर-हद नहीं होती,

हमने सुना है मोहब्बत की कोई हद कोई सर-हद नहीं होती,
फिर हमारे दरमियान ये फासले कैसे..!!

6. दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है..

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है..!!

7. मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का

मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का, उसी को देखकर जीते है जिस काफ़िर पे दम निकले..

मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का, उसी को देखकर जीते है जिस काफ़िर पे दम निकले..!!

8. अभी मसरूफ़ हूं काफ़िर तेरी यादों में

अभी मसरूफ़ हूं काफ़िर तेरी यादों में, जब मिलेगी फ़ुरसत तो सोचूंगा, के तुझे याद रखने में मैं क्या-क्या भूल जाता हूं..

अभी मसरूफ़ हूं काफ़िर तेरी यादों में, जब मिलेगी फ़ुरसत तो सोचूंगा,
के तुझे याद रखने में मैं क्या-क्या भूल जाता हूं..!!

9. हम तो फना हो गए उनकी आंखे देखकर ग़ालिब

हम तो फना हो गए उनकी आंखे देखकर ग़ालिब, न जाने कैसे वो आईना देखते होंगे..

हम तो फना हो गए उनकी आंखे देखकर ग़ालिब,
न जाने कैसे वो आईना देखते होंगे..!!

10. उनके देखने से जो आ जाती है रौनकें मुझ पर

उनके देखने से जो आ जाती है रौनकें मुझ पर, वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है..

उनके देखने से जो आ जाती है रौनकें मुझ पर,
वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है..!!

11. हर कायनात से अलग ये कायनात है

हर कायनात से अलग ये कायनात है, हीरत सदा-ए-इश्क़ में दिन है न रात है..

हर कायनात से अलग ये कायनात है,
हीरत सदा-ए-इश्क़ में दिन है न रात है..!!

12. दिल चाहता है लिखूं कुछ गहरा, की पढ़ तो सब ही पाएं

दिल चाहता है लिखूं कुछ गहरा, की पढ़ तो सब ही पाएं, मगर समझो सिर्फ तुम..

दिल चाहता है लिखूं कुछ गहरा, की पढ़ तो सब ही पाएं,
मगर समझो सिर्फ तुम..!!

13. तुम सिगरेट की तरह एक कश तो लगा के देख

तुम सिगरेट की तरह एक कश तो लगा के देख, मैं तेरे लबो से ज्यादा तेरे दिल में उतरूंगा..

तुम सिगरेट की तरह एक कश तो लगा के देख,
मैं तेरे लबो से ज्यादा तेरे दिल में उतरूंगा..!!

14. पूरी दुनियाँ के जज़्बात इक तरफ और तेरी मुलाकात

पूरी दुनियाँ के जज़्बात इक तरफ, और तेरी इक मुलाकात इक तरफ..!!

पूरी दुनियाँ के जज़्बात इक तरफ, और तेरी इक मुलाकात इक तरफ..!!

15. तू मोहब्बत की कोई चाल तो चल

तू मोहब्बत की कोई चाल तो चल, हार जाने को हमने हथेली पे रखा है..!!

तू मोहब्बत की कोई चाल तो चल, हार जाने को हमने हथेली पे रखा है..!!

16. इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया वरना

इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया वरना, हम भी आदमी काम के थे..!!

इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया वरना, हम भी आदमी काम के थे..!!

17. उसके चेहरे की चमक के सामने सब सादा लगा

उसके चेहरे की चमक के सामने सब सादा लगा, आसमान में चाँद पूरा था मगर आधा लगा..!!

उसके चेहरे की चमक के सामने सब सादा लगा, आसमान में चाँद पूरा था मगर आधा लगा..!!

18. रहने दे मुझे यूं उलझा हुआ सा तुझमें

रहने दे मुझे यूं उलझा हुआ सा तुझमें, सुना है सुलझने के बाद धागो को अलग कर दिया जाता है..!!

रहने दे मुझे यूं उलझा हुआ सा तुझमें,
सुना है सुलझने के बाद धागो को अलग कर दिया जाता है..!!

19. सुना है तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते है लोग

सुना है तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते है लोग, कि एक नज़र हमे भी देख लो, तुम्हारे बिन ये ज़िंदगी अब गवारा नहीं..!!

सुना है तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते है लोग, कि एक नज़र हमे भी देख लो,
तुम्हारे बिन ये ज़िंदगी अब गवारा नहीं..!!

19. यूं ही इत्तेफ़ाक़ से तो नहीं टकराए हम

यूं ही इत्तेफ़ाक़ से तो नहीं टकराए हम, जरूर कुछ साज़िशे उस खुदा ने भी रची होगी..!!

यूं ही इत्तेफ़ाक़ से तो नहीं टकराए हम, जरूर कुछ साज़िशे उस खुदा ने भी रची होगी..!!

20. उसने पूछा क्या पसंद है तुम्हें

उसने पूछा क्या पसंद है तुम्हें, और मैं चुपचाप उसे देखता रहा..!!

उसने पूछा क्या पसंद है तुम्हें, और मैं चुपचाप उसे देखता रहा..!!

हम आशा करते हैं कि मिर्ज़ा ग़ालिब की बेहतरीन शायरियों का हमारा यह संग्रह आपको पसंद आया होगा। यहां हम मिर्ज़ा ग़ालिब की इस साहित्यिक यात्रा का समापन कर रहे है।



हम आपको धन्यवाद देते हैं कि आपने हमारे साथ इस अद्वितीय साहित्य का अनुसरण किया। इसके साथ ही हम आपसे निवेदन करते हैं कि अगर आपने इस साहित्य संग्रह का आनंद लिया है, तो कृपया हमारे साथ जुड़े रहें, और इस साहित्य संग्रह को अपने दोस्तों और करीबियों के साझा करें। कृपया हमें अपना बहुमूल्य राय बताना न भूलें, यह हमारी साझेदारी को मजबूत बनाने में हमारी मदद करती हैं। फिर मिलेंगे एक नए साहित्यिक सफलता के साथ।



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