Gulzar Sahab Quotes in Hindi: गुलज़ार साहब की बेहतरीन और दिल को छूने वाली शायरीयों का संग्रह

Gulzar Sahab Quotes in Hindi: गुलज़ार साहब की बेहतरीन और दिल को छूने वाली शायरीयों का संग्रह
Gulzar Sahab Quotes in Hindi: गुलज़ार साहब की बेहतरीन और दिल को छूने वाली शायरीयों का संग्रह

गुलज़ार साहब की शख्सियत किसी परिचय की मोहताज़ नहीं, वह अपनी शायरी के माध्यम से हमें जीवन की हर राह और मोड़ के परिदृश्य के सामंजस्य स्थापित करना सिखाते हैं। इस संग्रह में हमने, गुलज़ार साहब के 41 बेहतरीन उद्धरण को संकलित किया है, जो वास्तव में गुलज़ार साहब के शब्दों की गहराई को परिभाषित करते है। गुलजार साहब के शायरी संग्रह में शामिल किया गया हर शेर एक कहानी कहता है और हमें अपने जीवन को महक से भरने की सीख देता है। तो चलिए अब बिना किसी देरी के इस साहित्य की यात्रा की शुरुआत करते हैं:

1. इतना क्यों सिखाए जा रही हो ज़िन्दगी

इतना क्यों सिखाए जा रही हो ज़िन्दगी, हमें कौन सी सदियाँ गुजारनी है यहाँ।

इतना क्यों सिखाए जा रही हो ज़िन्दगी, हमें कौन सी सदियाँ गुजारनी है यहाँ।

2. लगता है ज़िन्दगी आज कुछ खफा है

लगता है ज़िन्दगी आज कुछ खफा है, चलिए छोड़िए, कौन सी पहली दफ़ा है।

लगता है ज़िन्दगी आज कुछ खफा है, चलिए छोड़िए, कौन सी पहली दफ़ा है।

3. शाम से आँख में नमी सी है

शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आपकी कमी सी है।

शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आपकी कमी सी है।

4. ज़ख्म कहाँ-कहाँ से मिले

ज़ख्म कहाँ-कहाँ से मिले, छोड़ इन बातों को, ज़िन्दगी तू तो बता सफर और कितना बाकी है।

ज़ख्म कहाँ-कहाँ से मिले, छोड़ इन बातों को, ज़िन्दगी तू तो बता सफर और कितना बाकी है।

5. मेरी खामोशी में सन्नाटा भी है शोर भी हैं

मेरी खामोशी में सन्नाटा भी है शोर भी हैं, तूने देखा ही नहीं.. आँखों में कुछ और भी है।

मेरी खामोशी में सन्नाटा भी है शोर भी हैं, तूने देखा ही नहीं.. आँखों में कुछ और भी है।

6. आप के बाद हर घड़ी हमने

आप के बाद हर घड़ी हमने, आपके साथ ही गुज़ारी है

आप के बाद हर घड़ी हमने, आपके साथ ही गुज़ारी है।

7. दर्द की अपनी भी एक अदा है

दर्द की अपनी भी एक अदा है, वो भी सहने वालों पर फ़िदा है।

दर्द की अपनी भी एक अदा है, वो भी सहने वालों पर फ़िदा है।

8. हजारों हैं मेरे अल्फ़ाज़ के दीवाने

हजारों हैं मेरे अल्फ़ाज़ के दीवाने, मेरी खामोशी सुनने वाला भी कोई होता… तो क्या बात थी।

हजारों हैं मेरे अल्फ़ाज़ के दीवाने, मेरी खामोशी सुनने वाला भी कोई होता… तो क्या बात थी।

9. बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला

बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला, जब से डिग्रियाँ समझ में आई पाँव जलने लगे।

बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला, जब से डिग्रियाँ समझ में आई पाँव जलने लगे।

10. थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब

थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब, ये ज़रूरतों तो कभी खत्म नहीं होगी।

थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब, ये ज़रूरतों तो कभी खत्म नहीं होगी।

11. उम्र जाया कर दी लोगों ने औरों के वजूद में

उम्र जाया कर दी लोगों ने औरों के वजूद में नुक्स निकालते निकालते, इतना खुद को तराशा होता तो फ़रिश्ते बन जाते।

उम्र जाया कर दी लोगों ने औरों के वजूद में नुक्स निकालते निकालते, इतना खुद को तराशा होता तो फ़रिश्ते बन जाते।

12. ज़िन्दगी ये तेरी खरोचे हैं मुझ पर

ज़िन्दगी ये तेरी खरोचे हैं मुझ पर, या फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है।

ज़िन्दगी ये तेरी खरोचे हैं मुझ पर, या फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है।

13. हर रोज चुप के से निकल आते है

हर रोज चुपके से निकल आते है, नये पत्ते ख़्वाहिशो के, दरख्तो मे क्यो पतझड़ नही होते।

हर रोज चुप के से निकल आते है, नये पत्ते ख़्वाहिशो के, दरख्तो मे क्यो पतझड़ नही होते।

14. अब खैर तो नहीं, कोई बैर तो नहीं

अब खैर तो नहीं, कोई बैर तो नहीं, दुश्मन जिये मेरा, वो भी गैर तो नहीं।

अब खैर तो नहीं, कोई बैर तो नहीं, दुश्मन जिये मेरा, वो भी गैर तो नहीं।

15. ख्वाहिशें अपनी किताबों को बताया कीजिए

ख्वाहिशें अपनी किताबों को बताया कीजिए, तनख्वाह तो सिर्फ ज़रुरतें समझती हैं।

ख्वाहिशें अपनी किताबों को बताया कीजिए, तनख्वाह तो सिर्फ ज़रुरतें समझती हैं।

16. रात को उठ न सका दरवाज़े की दस्तक पे

रात को उठ न सका दरवाज़े की दस्तक पे, सुबह बहुत रोया तेरे पैरों के निशान देखकर।

रात को उठ न सका दरवाज़े की दस्तक पे, सुबह बहुत रोया तेरे पैरों के निशान देखकर।

17. कुछ गमों की कोई उम्र नही होती

कुछ गमों की कोई उम्र नहीं होती, ताऊम्र साथ चलते हैं जिस्म के खाक होने तक।

कुछ गमों की कोई उम्र नहीं होती, ताऊम्र साथ चलते है जिस्म के खाक होने तक।

18. न चाहत के अंदाज अलग थे, न दिल के

न चाहत के अंदाज अलग थे, न दिल के जज़्बात अलग थे। सारी बात लकीरों की थी, तेरे हाथ अलग थे मेरे हाथ अलग थे।

न चाहत के अंदाज अलग थे, न दिल के जज़्बात अलग थे, सारी बात लकीरों की थी, तेरे हाथ अलग थे मेरे हाथ अलग थे।

19. वो ना ही मिलते तो अच्छा था

वो ना ही मिलते तो अच्छा था, बेकार में मोहब्बत के नाम से नफरत हो गई।

वो ना ही मिलते तो अच्छा था, बेकार में मोहब्बत के नाम से नफरत हो गई।

20. फ़िक्र है सबको खुद को सही साबित करने की

फ़िक्र है सबको खुद को सही साबित करने की, जैसे ये जिंदगी-जिंदगी नही, कोई इल्जाम है।

फ़िक्र है सबको खुद को सही साबित करने की, जैसे ये जिंदगी-जिंदगी नही, कोई इल्जाम है।

21. लफ्ज़ जब बरसते है बन कर बुंदे

लफ्ज़ जब बरसते है बन कर बुंदे, मौसम कोई भी हो, मन भींग ही जाता है।

लफ्ज़ जब बरसते है बन कर बुंदे, मौसम कोई भी हो, मन भींग ही जाता है।

22. थोड़ी ख़ुशियाँ चखा दे ए ज़िन्दगी

थोड़ी ख़ुशियाँ चखा दे ए ज़िन्दगी, हमने कौन सा यहां रोजा रखा है।

थोड़ी ख़ुशियाँ चखा दे ए ज़िन्दगी, हमने कौन सा यहां रोजा रखा है।

23. कभी कभी धागे बड़े कमजोर चुन लेते है हम

कभी कभी धागे बड़े कमजोर चुन लेते है हम, और फिर पूरी उम्र गाँठ बाँधने में ही निकल जाती है।

कभी कभी धागे बड़े कमजोर चुन लेते है हम, और फिर पूरी उम्र गाँठ बाँधने में ही निकल जाती है।

24. लमहे फ़ुरसत के आये तो रंजिशे भुला देना दोस्तों

लमहे फ़ुरसत के आये तो रंजिशे भुला देना दोस्तों, किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।

लमहे फ़ुरसत के आये तो रंजिशे भुला देना दोस्तों, किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।

25. न दौलत, ना शोहरत, न वाह वाह चाहिए

न दौलत, ना शोहरत, न वाह वाह चाहिए, कैसे और किस हाल में हो, बस दो लफ्जो की परवाह चाहिए।

न दौलत, ना शोहरत, न वाह वाह चाहिए, कैसे और किस हाल में हो, बस दो लफ्जो की परवाह चाहिए।

26. हम तो बस ख्वाबों में ही हुए है उनसे रूबरू

हम तो बस ख्वाबों में ही हुए है उनसे रूबरू, चाँद कब किसी के हाथ आया करते है।

हम तो बस ख्वाबों में ही हुए है उनसे रूबरू, चाँद कब किसी के हाथ आया करते है।

27. अगर बे-ऐब चाहते हो तो फरिश्तों से

अगर बे-ऐब चाहते हो तो फरिश्तों से दोस्ती कर लो, मैं इंसान हूँ और खताएं मेरी विरासत हैं।

अगर बे-ऐब चाहते हो तो फरिश्तों से दोस्ती कर लो, मैं इंसान हूँ और खताएं मेरी विरासत हैं।

Gulzar

28. झूठ कहूँ तो लफ्जो का दम घुटता है

झूठ कहूँ तो लफ्जो का दम घुटता है, सच कहूँ तो लोग खफा हो जाते है।

झूठ कहूँ तो लफ्जो का दम घुटता है, सच कहूँ तो लोग खफा हो जाते है।

29. जब गिला शिकवा अपनों से हो

जब गिला शिकवा अपनों से हो तो खामोशी ही भली होती है, अब हर बात पे जंग हो यह जरूरी तो नही।

जब गिला शिकवा अपनों से हो तो खामोशी ही भली, अब हर बात पे जंग हो यह जरूरी तो नही।

30. तकलीफ़ खुद ही कम हो गई

तकलीफ़ खुद ही कम हो गई, जब अपनों से उम्मीद कम हो गई।

तकलीफ़ खुद ही कम हो गई, जब अपनों से उम्मीद कम हो गई।

31. ज़िन्दगी यूं हुई बशर

ज़िन्दगी यूं हुई बशर, काफ़िले साथ थे और सफर तन्हा।

ज़िन्दगी यूं हुई बशर, काफ़िले साथ थे और सफर तन्हा।

32. हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुककर

हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुककर अपना ही इंतेज़ार किया है।

हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुककर अपना ही इंतेज़ार किया है।

33. रूठी खामोशी से बोलती

रूठी खामोशी से बोलती शिकायतें अच्छी।

रूठी खामोशी से बोलती शिकायतें अच्छी।

34. ज़िन्दगी छोटी नहीं होती

ज़िन्दगी छोटी नहीं होती, बस हम जीना देर से सुरु करते है।

ज़िन्दगी छोटी नहीं होती, बस हम जीना देर से सुरु करते है।

35. अपने अंदर के बच्चे को हमेशा ज़िन्दा रखिये साहब

अपने अंदर के बच्चे को हमेशा ज़िन्दा रखिये साहब, हद से ज्यादा समझदारी भी जीवन को बेरंग बना देती है।

अपने अंदर के बच्चे को हमेशा ज़िन्दा रखिये साहब, हद से ज्यादा समझदारी भी जीवन को बेरंग बना देती है।

36. जिम्मेदारीया जगाती है साहब

जिम्मेदारीया जगाती है साहब, रात को देर से घर आने वाला हर शक्श बदचलन नहीं होता

जिम्मेदारीया जगाती है साहब, रात को देर से घर आने वाला हर आदमी बदचलन नहीं होता।

37. फासलो का अहसास तब हुआ

फासलो का अहसास तब हुआ, जब मैंने कहा ठीक हूं.. और उसने यकीन कर लिया।

फासलो का अहसास तब हुआ, जब मैंने कहा ठीक हूं.. और उसने यकीन कर लिया।

38. नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा

नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा, तुम्हारी पलकों तले लरजते नमी के क़तरे में, उलझा उलक्षा।

नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा, तुम्हारी पलकों तले लरजते नमी के क़तरे में, उलझा उलक्षा।

39. सबूत हर बात का देना पड़ता है

सबूत हर बात का देना पड़ता है, भरोसा वाकई बहुत बुरे दौर में आ पहुंचा है।

सबूत हर बात का देना पड़ता है, भरोसा वाकई बहुत बुरे दौर में आ पहुंचा है।

40. लफ्जो के भी जायके होते है, परोसने से पहले जरा खुद चख लिया कीजिए।

लफ्जो के भी जायके होते है, परोसने से पहले जरा खुद चख लिया कीजिए।

लफ्जो के भी जायके होते है, परोसने से पहले जरा खुद चख लिया कीजिए।

41. कमाल करते है हमसे जलने वाले, महफिले खुद की, और चर्चे हमारे।

कमाल करते है हमसे जलने वाले, महफिले खुद की, और चर्चे हमारे।

कमाल करते है हमसे जलने वाले, महफिले खुद की, और चर्चे हमारे।

Conclusion

गुलजार साहब के शब्दों की सुंदरता को परिभाषित करते हुए, हमने एक ऐसा संग्रह तैयार किया है जिसने वास्तव में आपकी आत्मा को छुआ होगा। प्रत्येक छंद भावनाओं और परिचर्चाओं के साथ गुलजार साहब के शब्दों की एक गहन यात्रा है।

गुलज़ार साहब के उद्धरणों से सजे हमारे इस संग्रह का हिस्सा बनने के लिए आपका धन्यवाद! अपने पसंदीदा गुलजार साहब के उद्धरणों को अपने दोस्तों और चहितो के साथ साझा करें। आप अपना कोई भी सुझाव या सवाल नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमतक पहुंचा सकते है।

Comments

  1. बेहतरीन शायरी । गुलज़ार साहब का जवाब नहीं।

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  2. Gulzar saab .।kya khu aapke baare mein aap jadugar ko jis tarah aap ahssaso ko shobdo mein pirotey ho...

    Aap har baar shabdo ke saath ek nata ahsaas hotey ho.।।

    Kamaal h aap gulzar saab.

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